Principal Desk
शिक्षा का अंतिम उद्देश्य छात्रों में मानवीय मूल्यों का विकास करना है देशभर में शैक्षणिक संस्थानों में अभूतपूर्व वृद्धि और साक्षरता दर में एक स्पष्ट सुधार के बावजूद हमारे समाज में मानवीय मूल्यों का ह्रास हुआ है सहानुभूति, निस्वार्थ सेवा, दान और मदद विशेष रूप से बड़े शहरों में गायब है l केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में शिक्षाविदों के लिए चिंता का विषय है हमारी शिक्षा को मूल्यनमुखी बनाने के लिए तैयार की गई योजनाएं और रणनीतियां अभी भी कागजों पर है l मानवीय मूल्य केवल मानव कल्याण से संबंधित नहीं है बल्कि पशु साम्राज्य वानिकी और पर्यावरण के प्रति सहानुभूति रखने के लिए विचार किया जाना चाहिए l यदि जानवरों और पक्षियों के कुछ प्रजातियों को विलुप्त होना आज एक खतरनाक वास्तविकता बन गया l यदि पर्यावरण प्रदूषण खतरनाक अनुपात में पहुंच गया है और यदि हमारे प्राकृति संसाधन जैसे वन कम हो रहे हैं तो वह सतत प्रथाओं के कारण है जिनके हम पालन कर रहे हैं इन सभी समस्याओं के प्रति जागरूकता निश्चय ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए मानवीय मूल्यों के माध्यम से उचित शिक्षा उचित दिशा में वास्तविक उपलब्धि सिखा सकती है कुछ शिक्षकों और शिक्षाविदों में ईमानदारी और नैतिकता के गुण में भी कमी है वे ज्ञान के विकास और प्रसार के साधन की तुलना में शिक्षा को एक व्यवसाय के रूप में अधिक मानते हैं निजी शिक्षण संस्थानों के लिए काम करते हुए वह अधिक शुल्क की मांग करते हैं Stu Portal सही अर्थों में शिक्षाविद् कहलाने से पहले उन्हें स्वयं एक नैतिक आचार संहिता का पालन करना चाहिए आज मानवीय मूल्यों की नैतिकता को ध्यान में रखते हुए हमारा महाविद्यालय ओमप्रकाश मिश्र स्मारक पीजी कॉलेज इन मूल्यों पर पहल कर रहा है हमारे महाविद्यालय के प्रबंधक श्री कृष्णकांत मिश्र जी अपने पिता संस्था के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय ओम प्रकाश मिश्र जी के सपनों को साकार करने के लिए सतत प्रयत्नशील है और इनके निरंतर प्रयत्नशीलता के कारण आज हमारे महाविद्यालय में शिक्षा का सही स्वरूप मानवीय मूल्य का विकास मां सरस्वती के आशीर्वाद से निरंतर हो रहा है सही कहा गया है कि ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर सीखने रहने की प्रवृत्ति ही सही शिक्षा हैl